(परिवर्तन): हिंदुत्व, एक शब्द जिसका अनुवाद “हिंदूपन” होता है, एक राजनीतिक विचारधारा है जो हिंदू राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक औचित्य और भारत के भीतर हिंदू आधिपत्य स्थापित करने के विश्वास को समाहित करती है। यह एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो गहन बहस और विवाद का विषय रही है।
ऐतिहासिक जड़ें:
“हिंदुत्व” शब्द पहली बार 19वीं शताब्दी के अंत में एक प्रमुख बंगाली उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा गढ़ा गया था। हालाँकि, यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति विनायक दामोदर सावरकर थे, जिन्होंने इस शब्द को लोकप्रिय बनाया और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में इसे एक अलग राजनीतिक विचारधारा के रूप में तैयार किया। सावरकर ने हिंदुत्व को एक साझा सांस्कृतिक पहचान के रूप में परिभाषित किया, जिसमें वे सभी शामिल हैं जो भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं और हिंदू परंपराओं का सम्मान करते हैं।
हिंदुत्व के मुख्य सिद्धांत:
- हिंदू राष्ट्र: यह विश्वास कि भारत हिंदू संस्कृति और परंपरा का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है।
- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: भाषा, साहित्य, कला और धर्म सहित हिंदुओं की साझा सांस्कृतिक विरासत पर जोर।
- धर्मनिरपेक्षता का विरोध: एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में भारत के विचार को अस्वीकार करना, हिंदू-केंद्रित पहचान की वकालत करना।
- राम जन्मभूमि आंदोलन: हिंदुत्व की राजनीतिक लामबंदी का एक प्रमुख उदाहरण, अयोध्या में ध्वस्त बाबरी मस्जिद के स्थल पर एक मंदिर की मांग पर केंद्रित है।
हिंदुत्व की आलोचनाएँ:
- बहुसंख्यकवादी दृष्टिकोण: आलोचकों का तर्क है कि हिंदुत्व एक बहुसंख्यकवादी विश्वदृष्टि को बढ़ावा देता है जो धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को हाशिए पर रखता है और उनके साथ भेदभाव करता है।
- ऐतिहासिक संशोधनवाद: किसी विशेष राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप ऐतिहासिक आख्यानों को विकृत करने का आरोप।
- धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देना: आलोचक धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंदुत्व समूहों द्वारा की गई हिंसा और घृणास्पद भाषण के उदाहरणों की ओर इशारा करते हैं।
- धर्मनिरपेक्षता विरोधी रुख: धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का विरोध, जिसे भारत के संवैधानिक ढांचे की आधारशिला माना जाता है।
भारत में हिंदुत्व एक विवादित विचारधारा बनी हुई है, जिसके समर्थक और आलोचक मजबूत और अक्सर विरोधी विचार रखते हैं। हिंदुत्व पर बहस अक्सर पहचान, संस्कृति, धर्म और भारतीय राष्ट्र-राज्य की प्रकृति के सवालों के इर्द-गिर्द घूमती है।
भारत में हिंदुत्व एक दक्षिणपंथी विचारधारा है जो हिंदू पहचान और संस्कृति पर जोर देती है। हिंदुत्व के कुछ बुनियादी बिंदु इस प्रकार हैं:
- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद: हिंदुत्व भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में देखता है, हिंदू धर्म पर आधारित साझा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों पर जोर देता है।
- हिंदू पहचान: यह हिंदू पहचान और गौरव की एक मजबूत भावना को बढ़ावा देता है, जिसे अक्सर भारतीय राष्ट्रवाद से जोड़ा जाता है।
- सांस्कृतिक एकरूपता: हिंदुत्व की कुछ व्याख्याएं सांस्कृतिक रूप से एकरूप समाज की वकालत करती हैं, जहां हिंदू परंपराएं और मूल्य प्रमुख हैं।
- भारतीय विरासत पर जोर: हिंदुत्व प्राचीन हिंदू परंपराओं, शास्त्रों और प्रथाओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देता है।
- सामाजिक रूढ़िवाद: यह अक्सर पारिवारिक मूल्यों और लैंगिक भूमिकाओं जैसे मुद्दों पर सामाजिक रूप से रूढ़िवादी विचारों के साथ जुड़ता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हिंदू धर्म विभिन्न व्याख्याओं और बारीकियों के साथ एक जटिल और बहुआयामी विचारधारा है।